Monday 17 September 2018

#हां_कंश_मैं...

#हां_कंश_मैं..
मैं तुच्छ
मैं स्वार्थी
मैं घृणापात्र
मरघट की राख़ मैं
नफ़रत की आंख मैं
चोर मैं
पापी अघोर मैं
लोभी मैं कामी मैं
चरित्र की खामी मैं
गुनाह मैं गुनहगार मैं
ज़ख्म मैं तलवार मैं
झूठा मैं बनावटी मैं
घटिया दिखावटी मैं
सभी पाप मैं
कर्णभेदी अलाप मैं
मृत्यु मिलाप मैं
घोर संताप मैं
लोगों की सारी पीर मैं
नैनों का नीर मैं
मैं धोखा मैं कपट
मैं आग मैं लपट
मैं असभ्य मैं गंवार
दर दर की मैं दुत्कार
नफ़रत मैं नफ़रत के लायक मैं
वीभत्स सा खलनायक मैं
कृष्ण हूं या कंश मैं ?
हां , कंश मैं..
पर सोच,
पर तेरा ही अंश मैं !!
पर तेरा ही अंश मैं !!

#thoughtful_anil©
#I_am_sinner

Saturday 15 September 2018

सुन्दरता..

#सुंदरता.. ईश्वर की बनाई हुई संपूर्ण सृष्टि में सुंदरता व्याप्त है। सुंदरता है क्या ? यदि हम बात को समझ जाएं , तब हम हर वस्तु और व्यक्ति में छिपी हुई सुंदरता को पहचान सकते हैं। सुंदरता को पहचानने के बाद हमें कोई भी इंसान, कोई भी वस्तु बुरी या बेकार नहीं लगेगी। किसी ने कहा है की सुंदरता देखने वालों की आंखों में पाई जाती है। यह सत्य है। यदि आपके पास देखने का सही दृष्टिकोण और पारखी नजर हो तो आप हर वस्तु , हर व्यक्तित्व में निहित सुंदर पक्ष को समझ सकते हैं। यह तभी संभव हो सकता है जब आप उस व्यक्ति का आंकलन अवधारणाओं से ग्रस्त होकर न करें। सुंदरता सिर्फ भौतिक तत्व ही नहीं है। यह एक सार्वभौमिक ब्रह्म तत्व है। दुनिया को बदसूरत दिखने वाला इंसान एक बेहतरीन और खूबसूरत चरित्र का स्वामी हो सकता है। और चेहरे से चमकने वाला इंसान अंदर से कालिख भरा हो सकता है। पता है हर मां को अपना बच्चा सुंदर क्यों लगता है ? क्योंकि वह मां अपने बच्चे को कभी रूखी नजरों से नहीं देखती , उसकी नजरों में ममता, दुलार और प्यार भरा होता है। इसीलिए उसको अपना बच्चा हमेशा प्यारा ही नजर आता है। कभी महसूस किया है कि जो आपको बहुत खूबसूरत लगता है हो सकता है वही व्यक्ति आपके मित्रों को खूबसूरत न लगे। पता है क्यों क्योंकि आप उसको जिस नजर से देखते हैं। उस नजर से आपके मित्र उसको नहीं देख पाते। कुल मिलाकर खूबसूरती का खेल बस इतना सा है कि आप अपनी आंखों में मोहब्बत को घोलिए । प्यार भरी नजरों से देखिए आपको सब कुछ कितना प्यारा नजर आएगा। और इस एहसास को मैं शब्द नहीं दे सकता। 
इसीलिए नजरों में प्यार भरिए !! 
मुस्कुराइए !! 
जय हिन्द !! 
 #thoughtful_anil© 
#daily_dairy_04 
#date_15_09_2018 
#beauty #love

Friday 14 September 2018

बिरला_बीएचयू_और_बवाल

यह तीन शब्द काशी हिंदू विश्वविद्यालय से जुड़े हर व्यक्ति ने सुने होंगे। और इन तीनों के आपसी संबंध को भी समझता होगा। लेकिन इन तीन शब्दों का वास्तव में कोई संबंध है या ये एक बनी बनाई अवधारणा के पोषक हैं। विरोध, मुखरता, यदि सभ्य समाज के तत्त्व नहीं है तब यह माना जा सकता है कि कला को पढ़ने और समझने वाले छात्रों में यह पाया जाता है। और इस तरह छठ असभ्य हैं। तमाम विषमताओं का बोझा ढोता कला संकाय यदि इनका विरोध कर असभ्य कहलाता है। तो कहलाता रहे। यदि किसी भी अराजक घटना या अराजक स्थिति के लिए छात्र जिम्मेदार हैं तो तुमसे ज्यादा प्रशासन और वे परिस्थितियां जिम्मेदार हैं। जिनके कारण अराजकता उत्पन्न होने दी जाती है। माहौल को बिगड़ते हुए, पहले तो प्रशासन दर्शक बनकर तमाशा देखता है और फिर दोहरेपन की कार्यवाहियां कर अपने को जिम्मेदारियों से बचाता है। दही छात्रों की बात ,तो बात का बवाल कोई भी छात्र नहीं बनाता। बल्कि उन छात्रों की आड़ में तथाकथित छात्रनेता ,जो छात्र तो किसी भी हाल में नहीं होते ।वे अपने रौब और राजनीति चमकाते हैं । और ऐसे छात्र सिर्फ बिरला में पाए जाते है ये सोचना मूर्खता है क्यूंकि ऐसे प्राणी हर फैकल्टी और हॉस्टल में पाए जाते है । और ये हर छोटी बात का बतंगड़ बनाने , उसको आत्मसम्मान का मुद्दा बनाने , और फिर इस आग में अपनी स्वार्थ की रोटियां सेंकने से नहीं चूकते । इसीलिए सभी समझदार छात्रों से यही अपील है कि खुद का दुरुपयोग होने से स्वयं को बचाएं । और प्रशासन से कहना है , कि कार्यवाही करने का शौक यदि इतना ही है तो घटना से पहले कार्यवाही करें ...असली जिम्मेदारों पर कार्यवाही करें...किसी पर भी कार्यवाही कर खानापूर्ति न करें । उनकी समस्याओं पर ध्यान दें । एक अच्छे माहौल की चाहत हर विद्यार्थी का सपना होती है । उसको उपलब्ध कराएं ।
जय महामना !!

#love_BHU
#thoughtful_anil©
#daily_dairy_03
#date_14_09_2018

Tuesday 11 September 2018

खुश होना आसान है !

खुश होने की वजहें , यदि हम खोजें तो कहीं मिल सकती है। बस आपके पास नजर होनी चाहिए। जिससे आप अपने आसपास व्याप्त खुशियों को अपने अंदर समाहित कर सकें इंसान दूसरों की खुशियों में खुश होना सीख ले तो संसार का कोई भी गम उसे दुखी नहीं कर सकता यह एक सार्वभौमिक सत्य है । दरअसल , खुश होना इतना भी कठिन नहीं है । जितना हमारी आधुनिकता भरी जिंदगी ने उसको कठिन और जटिल बना दिया है। हम मटेरियलिस्टिक वर्ल्ड में इतना खो चुके हैं कि हमें ना खुद का ख्याल है ना ही खुद के अंदर व्याप्त संवेदनाओं, भावनाओं और भावों को संजोने की फुर्सत है। हम बस भागे जा रहे हैं। ऐसी दौड़ में जिसका ना कोई अंत है ,ना कोई मंजिल और इस अंधी दौड़ में हम खुशियों की बात कहां से करें ? यही कारण है कि वर्तमान में समृद्धि , प्रसिद्धि ,सफलता पा पाने के बावजूद भी इंसान खुद को अकेला महसूस करता है। यही उसका अकेलापन उसके लिए कई बार घातक सिद्ध होता है। हम शिक्षा प्राप्त करते हैं और एक ही दौड़ में भाग जाते हैं। वह है- पैसे की दौड़ , सफलता की दौड़ ,जॉब की दौड़ ,करियर की दौड़ और ना जाने कितनी आशाओं की दौड़ ; जो एक बार पूरी होती हैं तो दूसरी नई पनप जाती है। इस तरह न ये दौड़ खत्म होती है और न हमारा भागना रुकता है। भागने में हम खुश होना भूल जाते हैं। जिंदगी को जिंदादिली के साथ जीना भूल जाते हैं । हर पल को यदि हम जी नहीं सकते तो दुनिया की कोई भी शक्ति हमको खुश नहीं कर सकती और इस तरह हम परम दुखी रहेंगे । इसीलिए आपसे बस इतना कहना है कि पलों को जीना सीखें । बेफिक्र होना सीखें। अल्हड़ होना सीखें । शरारतें करना सीखें । हंसना सीखें। ठहाके लगाना सीखें। मुस्कुराना सीखें। जब आप यह सब सीख जाएंगे तो आपको खुश होने से कोई नहीं रोक सकता।
इसीलिए मुस्कुराइए! खुश रहिए !! जिंदादिल रहिए !!!
धन्यवाद !!
#thoughtful_anil©
#daily_dairy_02
#be_happy

नास्तिक-आस्तिक !

हां हां यह सही है की मैं नास्तिक नहीं हूं लेकिन यह भी उतना ही सही है कि मैं वर्तमान धार्मिक विडंबनाओं , और आस्तिकता के लिबास में लिपटी हुई मरी हुई आस्थाओं के अवशेषों का पुजारी भी नहीं हूं । मैं ईश्वर को मानता हूं। उस परम शक्ति को मानता हूं। उस ब्रह्म को मानता हूं। उस प्राकृतिक शक्ति को सर्वोपरि मानता हूं। लेकिन उसके विभिन्न रूप जो कि वर्तमान में अपनी कुरूपता की सीमाओं को भी पार कर चुके हैं उनको मैं नहीं मानता । वर्तमान में सभी धर्मों में विकृतता ने अपनी जगह बहुत गहरी बना ली है। वर्तमान परिस्थितियों में हम राम को ईश्वर, मोहम्मद को अल्लाह, जीसस को गॉड मान बैठे हैं जबकि यह सब ईश्वर नहीं है । परम शक्ति नहीं है राम ईश्वर का अवतार हैं, मोहम्मद अल्लाह के क्या रे बंदे हैं, जीसस गॉड के पुत्र हैं। ईश्वर गॉड अल्लाह यह सब उस परम शक्ति के ही समानांतर नाम बस हैं । हम अंधे लोग यही समझने में नाकामयाब हो जाते हैं। प्राकृतिक परम शक्ति को ईश्वर मानना सही है क्योंकि यही वह शक्ति है जो सर्वव्यापी है जो कण-कण में व्याप्त है जो हर इंसान में व्याप्त है इसीलिए अल्लाह काफिरों में भी उतना ही व्याप्त है जितना कि किसी नेक बंदे में। इसीलिए जो लोग धर्म रक्षा के नाम पर, ईश्वर के नाम पर सड़कों पर निकलते हैं, मुझे उनकी मासूमियत पर तरस आता है। क्योंकि जो कण कण में व्याप्त है उसकी रक्षा यह लोग करेंगे ?? जो स्वयं संहारक है उसको रक्षक की जरूरत क्यों होने लगी ?? इसीलिए मैं इन तमाम रूपों को ना मानकर सिर्फ एक परम शक्ति को ही मानता हूं। इसीलिए प्रथम दृष्टया , मैं आपको नास्तिक ही प्रतीत होऊंगा । #thoughtful_anil© #daily_dairy_01 #date_ 10_09_2018 #it's_me

Saturday 1 September 2018

शर्म का त्योहार !!

होगा अँधेरा तो सियार  जागेंगे
और उनके साथ जागेगा अँधेरा
हमारी सभ्यता  का
फिर घटेगी एक बीभत्स घटना
दहल उठेगी रात
भयंकर चीखों से
और सुबह तक पुत जायेगी
सियाही हमारे चेहरों पर
निकालेंगे कैंडल मार्च
मनाएंगे शोक , दिखाएंगे प्रतिरोध
भर जायेगी सभी सोशल साइट्स
हमदर्दी के शब्दों से
तब दिखेगा हर लड़का सियार
एक बदहाल मां को
कुछ कोसेंगे बदलते परिवेश को
कुछ देश को
बाकि किसी विशेष को ,
कुछ दिन किसी त्यौहार की तरह
मनाया जायेगा यह शोक
सभ्यता के मरने का और
फिर भूल जायेंगे सबकुछ
जैसे कुछ भी तो हुआ ही नहीं
और खो जायेंगे , सो जायेंगे
अखबार की अगली हैडिंग तक
जिसमें लिखा होगा वही
" बीती रात सभ्यता हुई शर्मसार  "
और फिर चल पड़ेगा वही चक्र....कुचक्र !!

#thoughtful_anil

Monday 23 April 2018

रहा न इश्क हमें अपनी ज़िंदगी से कोई...

रहा न इश्क हमें अपनी ज़िंदगी से कोई।
क्यों करें शिक़वा किसी आदमी से कोई।  
यार मिला मेरा मुझसे अज़नबी बनकर ,
फिर क्यों वाश्ता हो उसी अज़नबी से कोई। 
सफर में जिसने सारे शज़र उजाड़े हैं ,
कोई आसरा न रखो उसकी बंदगी से कोई। 
सफर के अंत से पहले ही गिर गया , दिलबर 
न बने रिश्ता कभी ऐसे दिलनशीं से कोई।  
फ़िराक़-ए-ग़म का पहले जलवा तो देखे अनिल 
फिर भी रहे ताब तो करे इश्क हमी से कोई। 

-अनिल पटेरिया 

#हां_कंश_मैं...

#हां_कंश_मैं.. मैं तुच्छ मैं स्वार्थी मैं घृणापात्र मरघट की राख़ मैं नफ़रत की आंख मैं चोर मैं पापी अघोर मैं लोभी मैं कामी मैं चरित्...